पति ने बनाया पत्नी को गोल्ड मेडलिस्ट, संघर्ष और समर्थन की प्रेरणादायक कहानी

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हरियाणा की डिस्कस थ्रो खिलाड़ी सीमा की कहानी एक प्रेरणा बन गई है, जो न केवल कठिनाइयों के बावजूद अपनी मेहनत से गोल्ड मेडल तक पहुंची, बल्कि यह भी साबित करती है कि सही समर्थन और प्यार से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।

हरियाणा की एक माँ और एथलीट, सीमा ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता है। इस उपलब्धि के पीछे उनका संघर्ष, उनके धैर्य और सबसे महत्वपूर्ण, उनके पति की निरंतर सहारा और समर्थन था। सीमा, जो अब एक ढाई साल के बच्चे की माँ हैं, बताती हैं कि प्रसव के बाद उन्हें गठिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उनके पति ने न केवल उनका साथ दिया, बल्कि उन्हें कोच की भूमिका में मार्गदर्शन भी दिया।

सीमा ने अपनी सफलता का श्रेय पूरी तरह से अपने पति को दिया है, जिन्हें उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सहारा और साथी बताया। सीमा, जिन्होंने कोरोना के बाद एक लंबा ब्रेक लिया और 2.5 साल तक अपनी ट्रेनिंग से दूर रही, कभी हार मानने वाली नहीं थीं। उनके पति, जो खुद एक राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं, ने न सिर्फ उनका हौंसला बढ़ाया, बल्कि हर कदम पर उनका साथ दिया। सीमा की चोट और स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, उनके पति ने उन्हें अपने खेल में लगातार सुधार करने के लिए प्रेरित किया।

सीमा का कहना है, “मेरे पति ने मेरे लिए जो कुछ भी किया, वह किसी के लिए भी करना आसान नहीं होता। शादी के बाद भी उन्होंने मेरी पूरी तरह से मदद की और मुझे कभी भी अकेला महसूस नहीं होने दिया। वह मेरे कोच और सबसे बड़े सहारा बने।” सीमा के पति ने एक समय खुद खेल को छोड़ दिया था, लेकिन वह चाहते थे कि उनकी पत्नी वही हासिल करें, जो वह नहीं कर पाए। उन्होंने सीमा को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, भले ही व्यक्तिगत समस्याएं हों।

सीमा का कहना है कि जब उन्हें अपनी बेटे के जन्म के बाद गठिया जैसी गंभीर बीमारी का पता चला, तो वह पूरी तरह से टूट गई थीं। गठिया के कारण उनकी शारीरिक हालत बिगड़ने लगी थी, लेकिन उनके पति ने उन्हें मजबूत किया और उनकी हिम्मत बढ़ाई। “यह एक बहुत कठिन समय था, लेकिन मेरे पति ने मुझे संभाला। वह मुझे हर दिन हिम्मत देते थे और कहते थे कि मैं इस बीमारी से जंग जीत सकती हूं।”

आखिरकार, सीमा ने न केवल अपनी बीमारी से जंग जीती, बल्कि उन्होंने अपने सपनों को साकार किया और गोल्ड मेडल जीतकर हर किसी को चौंका दिया। सीमा की यह जीत न सिर्फ उनकी मेहनत का परिणाम है, बल्कि उनके पति के बिना शर्त प्यार और समर्थन का भी नतीजा है। सीमा के लिए यह जीत एक नई शुरुआत है, लेकिन वह कभी भी अपने पति की सहायता और प्रेरणा को नहीं भूल सकतीं, जिन्होंने उनकी जिंदग़ी को नया दिशा दिया और उन्हें अपने सपनों के करीब लाया।

सीमा ने साबित किया है कि अगर आपकी मेहनत के पीछे कोई सच्चा सहारा हो, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। इस जोड़ी की प्रेरणा देने वाली कहानी न केवल खेल जगत, बल्कि हर किसी के लिए एक आदर्श बन गई है।


संवाददाता

देवांशी सिंह

देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।

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