परीना, महाराष्ट्र की 16 वर्षीय जिमनास्टिक्स स्टार, ने 38वें नेशनल गेम्स में होप कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीतकर खुद को देशभर में एक उभरती हुई खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। लेकिन उनके इस सुनहरे सफर की शुरुआत आसान नहीं थी।
मात्र दो महीने की उम्र में परीना को ओपन हार्ट सर्जरी से गुजरना पड़ा, और यह उनके परिवार के लिए एक बड़ा संकट था। उनके पिता राहुल को हमेशा इस बात की चिंता रहती थी कि क्या परीना सामान्य जीवन जी पाएगी, खासकर जब उन्होंने उसे जिमनास्टिक्स जैसी शारीरिक खेल में रुचि लेते देखा।
परीना ने जिमनास्टिक्स को पहले एक शौक के रूप में लिया था, लेकिन जैसे-जैसे वह खेल में प्रवीण होती गई, उसका जुनून और मेहनत और बढ़ते गए। आठ साल की उम्र में जब उनके पिता ने उनकी बॉडी की लचीलेपन की प्रैक्टिस देखी, तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने कभी डॉक्टर से सलाह नहीं ली थी कि क्या ये खेल उनकी सेहत के लिए ठीक रहेगा। डॉक्टर ने कहा कि सब ठीक है, लेकिन 12 साल की उम्र तक परीना को नियमित चेकअप करवाना होगा। इसके बाद, उन्होंने परीना को दिल से सपोर्ट किया और उसे हर कदम पर आगे बढ़ने दिया।
राहुल बताते हैं कि परीना हमेशा से ही आत्म-अनुशासित रही है। जिमनास्टिक्स और पढ़ाई, दोनों को वह खुद ही मैनेज करती है। 10वीं बोर्ड्स के दौरान जब एशिया ट्रायल्स थे, राहुल थोड़ा घबरा गए थे। उन्होंने परीना से कहा कि वह पढ़ाई पर इतना ध्यान न दे और सिर्फ जिमनास्टिक्स पर फोकस करे। लेकिन परीना कहां मानने वाली थी! उसने कहा, “पापा, आप चिंता मत करो, मैं दोनों मैनेज कर लूंगी।” और परीना ने न सिर्फ बोर्ड्स में 92% हासिल किए, बल्कि ट्रायल्स में भी शानदार प्रदर्शन किया।
परीना की कोच वर्षा का कहना है कि इतनी कम उम्र में इतना फोकस्ड और डेडिकेटेड बच्चा मिलना आजकल दुर्लभ है। वह बताती हैं, “परीना में अद्भुत दृढ़ता और खेल के प्रति समर्पण है। अगर जिमनास्टिक्स की सही शुरुआत जूनियर स्तर से की जाए, तो अगले चार साल में ये खिलाड़ी रिकॉर्ड तोड़ सकती है।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी परीना ने अपनी पहचान बनाई है। 2022 की एशियन चैंपियनशिप में उसने 5वीं रैंक हासिल की और ‘खेलो इंडिया’ में सिल्वर पदक जीता। अपने खेल के बारे में बात करते हुए परीना कहती हैं, “इंजरीज़ खेल का हिस्सा होती हैं, इसलिए अपनी बॉडी को अच्छी तरह जानना बेहद जरूरी है।”
परीना की सफलता केवल उनकी खुद की मेहनत का परिणाम नहीं है, इसमें उनके पिता राहुल और कोच वर्षा का भी अहम योगदान रहा है। उनकी यह कहानी हर युवा के लिए एक प्रेरणा है कि अगर मेहनत, जुनून, और सही मार्गदर्शन मिले तो कोई भी बाधा असंभव नहीं रहती।
इस स्वर्ण पदक के साथ, परीना का सफर बस शुरू हुआ है। आने वाले दिनों में वह और भी ऊंचाइयों को छूएंगी और देश का नाम रोशन करेंगी।
संवाददाता
अदिति कंडवाल
अदिति कंडवाल दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य में एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है, जिसके चलते वह लेखन और संवाद के माध्यम से समाज में नई सोच और विचारों का संचार करने का प्रयास करती हैं।