फतेहाबाद, हरियाणा की पूजा ने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों के तहत आयोजित हाई जम्प स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर अपने नाम एक बड़ा इतिहास दर्ज किया है।
पूजा की यह सफलता न सिर्फ उनके कड़े संघर्ष और मेहनत का प्रतीक है, बल्कि उनके पिता के अथक समर्थन और संघर्षों का भी परिणाम है। पूजा का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उनके सपने और कड़ी मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया।
पूजा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया, जो एक राज मिस्त्री हैं और अपने पूरे परिवार का पालन-पोषण इसी पेशे से करते हैं। पूजा कहती हैं, “मेरे पिता एक राज मिस्त्री हैं और उनकी आय बहुत सीमित है। बावजूद इसके, उन्होंने कभी भी मुझे किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। उनके समर्थन के बिना मैं आज यहां नहीं होती। उनके कारण ही मैं इस मुकाम तक पहुंच पाई हूं और आज स्वर्ण पदक जीता है।”
पूजा का यह सफर बहुत मुश्किल था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। शुरू में वह जिमनास्टिक की खिलाड़ी रह चुकी थीं, लेकिन बाद में उन्होंने हाई जम्प में अपने कदम रखे और सफलता की नई ऊँचाइयों को छुआ। उनके कोच, बलवान सिंह बताते हैं, “जो इंसान ज़मीन से उठकर आया हो, उसे जीवन में आर्थिक और अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पूजा ने भी इन कठिनाइयों का सामना किया और कभी हार नहीं मानी। यही कारण है कि वह आज यहां तक पहुंची और स्वर्ण पदक विजेता बनीं।”
पूजा की सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर आत्मविश्वास और सही दिशा में मेहनत की जाए, तो कोई भी मुश्किल रास्ता पार किया जा सकता है। पूजा का संघर्ष और उनकी सफलता हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो किसी भी कारणवश संघर्ष कर रहा है। उनके पिता का समर्थन, उनकी मेहनत और कोच की दिशा ने पूजा को एक चैंपियन बना दिया।
“राज मिस्त्री की बेटी पूजा ने जीतकर किया साबित: संघर्ष, सपने और कड़ी मेहनत से सच्ची सफलता मिलती है!”
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संवाददाता
देवांशी सिंह
देवांशी सिंह दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की एमए की छात्रा हैं। उन्हें साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रुचि है। अपनी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, देवांशी युवा साहित्यिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में एक उभरती हुई आवाज बनकर सामने आ रही हैं।