उत्तराखंड ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में पहली बार लॉन बॉल खेल में हिस्सा लिया और स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि राज्य के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है।
पहली बार मैदान में उतरते ही, उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और जज़्बे से खुद को साबित किया, और राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का नाम रोशन किया।
कोचों को भरोसा था कि उत्तराखंड के खिलाड़ी इस खेल में पदक जीतेंगे, भले ही यह खेल राज्य के लिए नया हो। यही विश्वास सही साबित हुआ जब उत्तराखंड के उत्कृष्ट द्विवेदी ने असम के मजबूत प्रतिद्वंद्वी को कांटे की टक्कर में हराते हुए स्वर्ण पदक जीता। उनकी इस शानदार जीत से पूरे राज्य में खुशी की लहर दौड़ गई है। उत्कृष्ट उत्तराखंड में रुद्रपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी जीत के लिए माननीय मुख्यमंत्री, पुष्कर सिंह धामी, माननीय खेल मंत्री, रेखा आर्य एवं लॉन बॉल फेडरेशन का धन्यवाद किया जिन्होंने खेल की प्रैक्टिस के लिए विशिष्ट लॉन बॉल कैम्प का निर्माण किया।
लॉन बॉल एक संतुलन और धैर्य का खेल है, जहां बॉल को सटीकता और रणनीति के साथ टारगेट के नजदीक पहुंचाना होता है। इस खेल में दिन-रात की मेहनत और अनुशासन की आवश्यकता होती है, जिसे उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने बखूबी निभाया। खिलाड़ियों ने दिन में 16 घंटे से अधिक अभ्यास किया, जिसकी बदौलत यह सफलता संभव हुई। कोचों ने खिलाड़ियों की मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा, “उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और इस ऐतिहासिक जीत के बाद राज्य में लॉन बॉल के प्रति जागरूकता और रुचि बढ़ने की उम्मीद है।”
लॉन बॉल की खास बात यह है कि इसमें कोई आयु सीमा नहीं होती, जिससे यह खेल हर आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षक बनता है। उत्तराखंड की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद, राज्य में इस खेल का भविष्य और भी उज्जवल नजर आ रहा है।