सिलक्यारा सुरंग की वो दीवाली और रेस्क्यू ऑपरेशन

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दिवाली 2023, जो पूरे भारत में उत्सवों और खुशियों का प्रतीक होती है, उत्तराखंड के लिए एक आपदा का दिन बन गई थी । 12 नवंबर 2023 की सुबह जब देश दीपावली की तैयारियों में मशगूल था, वहीं दूसरी ओर उत्तरकाशी के के बड़कोट में यमनोत्री धाम के नेशनल हाईवे में सिलक्यारा सुरंग के निर्माण के दौरान एक हिस्सा अचानक ढह गया। जिसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा था। यह घटना उत्तराखंड के इतिहास का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया, जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देश पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजदूरों की जान बचाने का प्रण लिया। देश व विदेश से वैज्ञानिकों और बड़ी से बड़ी रेस्क्यू टीम से सम्पर्क साधा गया और सिलक्यार हादसे को एक बड़ा मिशन बना कर 41 मजदूरों को बाहर निकालने का काम शुरू किया गया।

विदेशी वैज्ञानिक अर्नोल्ड डिक्स की अद्भुत भूमिका
इस ऑपरेशन की सफलता में एक नाम सबसे महत्वपूर्ण रहा—इंटरनेशनल माइनिंग के एक्सपर्ट व वैज्ञानिक अर्नोल्ड डिक्स। उनका योगदान इतना विशेष रहा कि उन्होंने इस रेस्क्यू को न सिर्फ एक चुनौती बल्कि एक दिव्य उद्देश्य की तरह अनुभव किया।JagritiMedia के साथ अपनी एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने साझा किया कि कैसे यह अभियान उनके जीवन के दृष्टिकोण को बदलने वाला साबित हुआ।

एक अजीब संयोग और दैवीय तैयारी
न्यूज़ीलैंड में दिवाली समारोह के लिए रवाना होते समय, डिक्स ने अपने बैग में सुरक्षा सूट, हेलमेट, और जूते पैक कर लिए थे, जो उनके नियोजित कार्यक्रम के लिए आवश्यक नहीं थे। हालांकि उनकी पत्नी ने इसे अजीब समझा, लेकिन इस प्रेरणा का रहस्य सिलक्यारा हादसे के दौरान खुला। भारत से अचानक कॉल आई, और अर्नोल्ड तुरंत भारत पहुंचने के लिए तैयार हो गए। उनकी यात्रा एक तीव्र दौड़ थी—यूरोप से मुंबई, दिल्ली और फिर देहरादून, जहाँ उन्हें हेलिकॉप्टर से घटनास्थल पर ले जाया गया।

सुरंग के अंदर की खतरनाक स्थिति
सिलक्यारा सुरंग का दृश्य बेहद भयावह था। सुरंग के ढहने के पहले से मौजूद निशान और दरारें स्पष्ट दिखाई दे रही थीं। अर्नोल्ड ने यह समझा कि यह जगह किसी भी समय फिर से गिर सकती है। इसके बावजूद, उन्होंने स्थानीय देवता बाबा बौख नाग के मंदिर में प्रार्थना की, जिससे उन्हें और उनकी टीम को एक नई ऊर्जा और विश्वास मिला।

पीला हेलमेट और नई प्रेरणा
रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतिम दिनों में जब टीम की ऊर्जा और आत्मविश्वास कमजोर हो रहे थे, एक छोटा सा प्रतीक चमत्कारिक बदलाव लाया। पुजारी ने अर्नोल्ड को पीला हेलमेट पहनने को कहा और उसे आशीर्वाद दिया। इसके बाद, रेस्क्यू टीम ने इसे शुभ संकेत माना, जिससे उनका आत्मबल बढ़ा और पूरी टीम ने फिर से नई उमंग के साथ काम करना शुरू किया। यह छोटा बदलाव बड़े मनोबल का स्रोत बन गया, और अंततः 17 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

रेस्क्यू से मिली सीखें
अर्नोल्ड ने इस अनुभव से चार प्रमुख सीखों को साझा किया:
1. सुरंग निर्माण के स्थान का चयन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
2. निर्माण के दौरान किसी भी असामान्यता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
3. मजदूरों की दक्षता और प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
4. पर्यवेक्षण को और अधिक कठोर और सतर्क बनाने की जरूरत है।

सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन सिर्फ एक तकनीकी चुनौती नहीं थी, बल्कि यह मानव धैर्य, विश्वास, और समर्पण की अद्भुत मिसाल बनी। अर्नोल्ड डिक्स और उनकी टीम ने न केवल तकनीकी कौशल से बल्कि आंतरिक प्रेरणा और समुदाय के साथ जुड़कर इस अद्वितीय अभियान को सफल बनाया।

डॉo शचि नेगी 

अर्नाल्ड डिक्स द्वारा दिया गया पूरा इंटरव्यू , आप JagritiMedia द्वारा प्रकाशित किताब Beyond the Headlines: में पढ़ सकते हैं

https://publications.jagritimedia.com/

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