पौड़ी और चमोली की ग्रामीण महिलाओं ने पेश की मिसाल जंगलो को जलने से बचाया

Slider उत्तराखंड

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में पिछले अप्रैल माह से जंगलो में वानाग्नि का भीषण तांडव देखने को मिला । जिसके लिए समय समय पर धामी सरकार को वानाग्नि को बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना की भी मदद लेनी पड़ी।

मई माह में बढ़ती गर्मी ने एक बार फिर पहाड़ो में वानाग्नि की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। पर्यटक स्थल मसूरी के आस-पास कैपटी रेज में लगी आग को वन कर्मियों ने बड़ी मुश्किल से बुझाया। वहीं बात करें चमोली जिले के कर्णप्रयाग व रुद्रप्रयाग जिले की तो, वहां पर भी वानाग्नि का प्रकोप देखने को मिला वहीं वन विभाग की टीम लगातार रात दिन पहाड़ो के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने की हर कोशिश पर जुटी हुई हैं।

मिसाल बनी पौड़ी और चमोली की महिलाएं : 

अप्रैल माह के अंत मे व मई के पहले सप्ताह में पौड़ी गढ़वाल जिले के निसनी गांव के जंगलों में लगी भीषण आग को शांत करने के लिए वन विभाग के पौड़ी डीएफओ प्रदीप धोलखंडी की टीम के साथ निसानी गांव की महिलाओं ने वानाग्नि को बुझाने में एक अहम भूमिका निभाई। दरअसल पौड़ी जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर निसनी गांव में 2 मई को वन विभाग को वानाग्नि की सूचना मिली मौके पर डीएफओ पौड़ी प्रदीप धोलखंडी मौके पर पहुंचे जहां वानाग्नि ने विकराल रूप धारण किया हुआ था। उन्होंने निसनी के ग्रामीणों से जंगल की आग को बुझाने का आग्रह किया जिसमें महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर शामिल हुई और आग से जंगल ही नहीं अपने गांव को भी बचाया ।

फोटो: निसनी गांव पौड़ी गढ़वाल 

 

साथ ही चमोली जिले के वन पंचायत अगथला के दशवाना तोक में किसी प्रकार से आग लग जाने के कारण ग्राम अगथला की महिला मंगल दल के द्वारा वानाग्नि बुझाई गई और अपने गांव व जंगल को बचाया गया।
महिला मंगल दल का कहना है की हम अपने जंगल को एवं वन संपदा को आग से बचाने के लिए हरदम पूर्ण प्रयास करते रहेंगे।

फोटो: ग्राम अगथला चमोली जिला 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *