दुखदायी घटना – गंगोलीहाट तहसील के कोठेरा गाँव में दोपहर के बाद करीब 4 बजे के आसपास घात लगाये गुलदार ने 3 बर्षीय बच्चे को मुख में दबाकर जंगल की ओर ले गया। घर परिवार और गांव वालों के सहयोग से बच्चे की खोजबीन जारी है गाँव से लगा घनघोर जंगल में शिनाख्त करने में परेशानी हो रही है। वन विभाग की टीम भी घटना स्थल की ओर रवाना हो गयी है। सिमलकोट जाने वाली रोड़ के नजदीक ही परिवार रिस्तेदारी में कुछ दिन पूर्व ही आया है बताया जा रहा है। बच्चे के मामाजी को गोविंद टेलर के नाम से जाना जाता है। जिस रफ्तार से गंगोलीहाट विधानसभा क्षेत्र में आदमखोर गुलदार समय समय पर सक्रिय हो रहें हैं वो क्षेत्रीय जनता और वन विभाग के लिए भी बड़ी चुनौती है कि आज जनता की सुरक्षा हेतु क्या जरूरी उपाय किये जायें कि दुखद घटना की पुनरावृत्ति न होने पाये। जंगलों का रकबा बढ़ने के बाबजूद भी खाद्य श्रंखला में प्राथमिक उपभोक्ता जीव जिनमें घुरल, कांकड़ सुअर, खरगोश और जंगली मुर्गी अवैध शिकार के कारण जंगल का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है जो गुलदार का प्रिय भोजन है। सभी क्षेत्रवासियों को इमानदारी से अवैध शिकार और शिकारियों का सामाजिक बहिस्कार करना होगा अन्यथा ये दुखद घटना की बार बार पुनरावृत्ति होती रहेगी। आज किसी का बच्चा कल हो सकता है स्वयं उनका बच्चा भी हो सकता है जो ये तो मूकदर्शक बने हैं या उन शिकारियों का जो इस कृत्य में बर्षो से लगे हुए हैं एक सभ्य समाज में इसे बिलकुल भी बर्दास्त नही किया जाना चाहिए। जंगल के खाद्य श्रंखला में टूटने का सबसे ज्यादा प्रभाव स्थानीय नागरिकों पर ही पड़ना है चाहे पालतू जानवरों की बलि हो या स्वयं मनुष्यों की बलि क्योंकि मांसाहारी जंगली जानवर को स्वयं के जीवन के लिए मांस की जरूरत है जंगली हो, पालतू हो या फिर मानव। इसमें सबसे ज्यादा आसान शिकार मनुष्य ही है जो ज्यादा प्रतिरोध की क्षमता में नहीं होता गुलदार जैसे ताकतवर जानवर के मुकाबले।