भारी बारिश के चलते पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खड़े हुए धान के खेतों में जताई चिंता

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देहरादून:
कुमाऊं दौरान में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज रात को बारिश के चलते धान के खेतों में पहुंच गए।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की इस सक्रियता से कांग्रेस के युवा नेता कुछ सीख मिल सकती हैं। आहरीश रावत चुनावी आगाज में लगातार सोशल मीडिया पर हर राजनीतिक गतिविधियों को साझा कर रहे हैं।
आज रात, बारिश में ही, धान के खेतों का हाल दिखाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा इस समय ये बारिश किसानों के लिए धान की खेती के लिए तबाही साबित हो रही है । रात का वक्त है, फिर भी जो खेत में स्थिति दिखाई दे रही है, किसानों की मेहनत से लगाया धान बेमौसम हुई इस बरसात में सब बर्बाद हो गया हैं।
हरीश रावत का कहना है यदि बारिश इसी तरह होती रही तो फिर 5-10 प्रतिशत भी धान प्रदेश में नहीं बच पायेगा । धान की खेती और जहां जिन इलाकों में कैश क्रॉप (सब्जियां) आदि थीं, वहां भी बर्बाद हो गई हैं तो इस समय हर तरीके से किसान को इस बारिश ने बहुत चोट पहुंचाई है।
रावत ने कहा, सरकार को चाहिए, इस नुकसान का आकलन करें और विशेष तौर पर खरीद केंद्रों पर धान जाए तो उसमें नमी और दूसरी त्रुटियां निकालकर उसकी खरीद को रिजेक्ट न किया जाए।
इससे पहली सोशल मीडिया पोस्ट में रावत, किसानों को न्याय दिलाने पर जोर देते हैं। उनका कहना है, उत्तराखंड सरकार गन्ने का खरीद मूल्य घोषित नहीं कर रही है।
वो लिखते हैं, दूसरी तरफ धान की खरीद केंद्र जहां हैं, वहां किसानों के धान में कई तरीके की त्रुटि दिखाकर उसको इधर-उधर भागने के लिए मजबूर किया जा रहा है, ताकि बिचौलिए ओने-पौने दाम पर उसके धान को खरीद सकें।

कहते हैं, इसके विरोध में, मैं अपने कांग्रेस के साथियों के साथ किच्छा शुगर मिल के सामने एक घंटा, सांकेतिक मौन उपवास पर बैठा। हमारा यह विरोध प्रदर्शन/मौन व्रत उस सरकार के प्रति जो किसानों की अनसुनी कर रही है।

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