“हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन में तकनीकी प्रगति एवं विकास परिप्रेक्ष्य” पर अहम चर्चा की गई

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देहरादून:

हिमालय संरक्षण सप्ताह (2-9 सितंबर, 2024) के अंतर्गतसीएसआईआर-आईआईपी द्वारा आजदिनांक सितंबर, 2024, बुधवार  को “हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन में तकनीकी प्रगति एवं विकास परिप्रेक्ष्य” पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई थी। इस विशिष्ट पैनल में पद्म भूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी (एचईएससीओ)डॉ आरपी सिंह (निदेशकआईआईआरएस)प्रो दुर्गेश पंत (महानिदेशकयूकॉस्ट), डॉ जीएस रावत, (पूर्व निदेशकडब्ल्यूआईआई और संस्थापकएचएएसटी)डॉ रीमा पंत (निदेशकग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी)डॉ अभिषेक राजवंश, (प्रमुखसिपेटदेहरादून)प्रोफेसर गोविंद सिंह राजवर तथा डॉ सनत कुमार शामिल हुए।  

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने वर्चुअल संदेश मेंहिमालयी क्षेत्र के सतत विकास हेतु समग्र दृष्टिकोण एवं एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्टनिदेशकसीएसआईआर- आईआईपी ने क्षेत्र-विशेष के अनुकूलउपयुक्त समाधानों की पहचान करने पर विशेष ज़ोर दियाजिससे कि इन समाधानों को सुगमता एवं अधिक प्रभावी ढंग से अपनाया जा सके।

उन्होंने इस सम्बंधी आईआईपी द्वारा चंपावत क्षेत्र में किए गए पिरुल ब्रीकेटिंग कार्य का भी उदाहरण दिया। पद्म भूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने हिमालयी क्षेत्र के न्यायोचित एवं सतत विकास को प्राप्त करने के लिए विज्ञान तथा संसाधन दोनों के संतुलन की आवश्यकता का उल्लेख किया। इसके साथ ही उन्होंने हमारे नीति-निर्माताओं तथा युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

डॉ. जीएस रावत ने उच्च हिमालयी क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासतजैव विविधता एवं इसकी वर्तमान चुनौतियों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि आज इस क्षेत्र के संरक्षण के साथ-साथ यहाँ की आजीविका/ विकास दोनों के लिए एक सुदृढ़ योजना विकसित करने की विशेष आवश्यकता है। प्रोफेसर आरपी सिंह ने हिमालयी वनों पर जलवायु संबंधी प्रभाव के मूल्यांकन तथा CO2 प्रवाह के मापन में रिमोट सेंसिंग के आधुनिक अनुप्रयोगों पर प्रस्तुति दी। प्रोफेसर रीमा पंत ने लोगोंविशेष रूप से युवाओं में पर्यावरण-अनुकूल और उचित आचरण को बढ़ावा देने हेतु शिक्षा की भूमिका और महत्व पर ज़ोर दिया।

डॉ. सनत कुमार ने अपने व्याख्यान में संवहनीय और समेकित विकास के लिए स्केल और अर्थिकी का महत्व बताया. उन्होंने अपशिष्ट प्लास्टिक को ईंधन में परिवर्तित करने सम्बंधी आईआईपी के उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी दी. इस चर्चा सत्र का संचालन डॉ सुनिल पाठक ने किया

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