देहरादून:
अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर दिनांक 22 मई 2024 को उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड तथा उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा संयुक्त रूप आंचलिक विज्ञानं केंद्र , यूकॉस्ट में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय था योजना का हिस्सा बनें। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्यमभूषण, डा0 अनिल प्रकाश जोशी रहे। कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड द्वारा आयोजित एक छायाचित्र प्रदर्शनी द्वारा हुई । डॉ डीपी उनियाल , संयुक्त निदेशक यूकॉस्ट ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए, जैव विविधता संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा की विज्ञान आधारित अभियान की सफलता जन जागरूकता और सहभागिता पर निर्भर करती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने हिमालय क्षेत्र की जैव विविधता, उसके संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इकोलॉजी और इकॉनमी के परस्पर सहयोग से ही हम सर्वांगीण विकास की परिकल्पना कर सकते हैं। उन्होंने कहा की हिमालयी क्षेत्र जैवविविधता का हॉटस्पॉट होने के साथ साथ प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अति संवेदनशील भी है अतः इस क्षेत्र में विज्ञान आधारित विकास की भूमिका और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन हेतु हमे स्थानीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानना होगा और इनके कौशल विकास तथा क्षमता निर्माण पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा हमे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हुए डेटा आधारित अनुसंधान पर ध्यान देना होगा। सदस्य सचिव, जैव विविधता बोर्ड, श्री आर के मिश्रा ने जैव विविधता प्रबंधन समिति के कार्यों , लक्ष्यों और आगामी प्रस्ताव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षण हम सब की जिम्मेदारी है और हमे इसमें सहयोग करना चाहिए। इस अवसर पर विगत वर्षों में जैव विविधता बोर्ड द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये गए कार्यों और प्रस्तावित जैव विविधता स्थलों कि जानकारी से अवगत करने हेतु एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी। कार्यक्रम में बोर्ड द्वारा आयोजित राज्य चिन्ह फोटोग्राफी प्रतियोगिता और विभिन्न स्कूल में आयोजित कला प्रतियोगिता, स्लोगन प्रतियोगिता और निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर , श्री राकेश खत्री, नेस्ट मन ऑफ़ इंडिया ने सबको अपने कार्यो से अवगत कराया और कहा कि पक्षियों के लिए घोसले और दाना पानी की व्यवस्था करके भी हम पर्यावरण का सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने इस मुहीम को समेटने सहेजने का विज्ञान कहा जो कि प्रकृति संरक्षण में सहयोगी है। प्रोफेसर दुर्गेश पंत, महानिदेशक यूकॉस्ट ने कहा कि हमे प्रकृति के उपभोक्ता से अब प्रकृति सेवक बनने की और अग्रसर होना चाहिए। उन्होंने प्रकृति संरक्षण, संवर्धन और वेब ऑफ़ लाइफ पर अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर शीतलाखेत क्षेत्र और वहां पर आयोजित जैव विविधता संरक्षण पर बनी एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी और श्री महातिम यादव और गजेंद्र पाठक द्वारा क्षेत्र में किये गए विभिन्न कार्यक्रमों और नयी पहल जैसे औंण दिवस आदि की जानकारी दी गयी। जैविविधता बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ धनञ्जय मोहन ने कहा कि हमे वन क्षेत्र को सीखने के क्षेत्र के रूप में देखना चाहिए । उन्होंने कहा कि आनंद वन जैसे और भी क्षेत्र विकसित किये जाने चाहिए जो लर्निंग क्षेत्र का काम करेंगे। इस अवसर पर डॉ मनमोहन रावत , वैज्ञानिक अधिकारी, यूकॉस्ट ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया । कार्यक्रम में निदेशक राजा जी, डॉ साकेत बडोला , उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड के अधिकारी, वन विभाग के अधिकारी, जैव विविधता संरक्षण समिति के सदस्य , यूकॉस्ट और आंचलिक विज्ञान केंद्र के अधिकारी और कर्मचारी तथा विभिन्न विद्यालयों और कॉलेज से आये दो सौ से अधिक छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे।