हर खिलाड़ी की सफलता के पीछे एक कड़ी मेहनत और प्रेरणा का हाथ होता है, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो विशेष रूप से दिल को छू जाती हैं। उत्तरप्रदेश के बागपत की अनुष्का यादव की सफलता भी ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है, जिन्होंने 38वें नेशनल गेम्स के तहत आयोजित हैमर थ्रो इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल अपने सपने को पूरा किया, बल्कि अपने पिता के संघर्षों और समर्पण को भी सम्मानित किया।
अनुष्का के मुताबिक, उनकी सफलता का पूरा श्रेय उनके पिता सुशील कुमार यादव को जाता है, जिन्होंने न केवल उनकी कोचिंग की बल्कि एक पिता के रूप में हमेशा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया। सुशील कुमार यादव का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। वह खुद एक खिलाड़ी रहे थे, लेकिन व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं ने उनका सपना अधूरा छोड़ दिया। उनके भाई की मृत्यु के बाद, उनकी माँ की मानसिक स्थिति भी ख़राब हो गई थी, परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई, साथ ही जिसके कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा।
अनुष्का ने कहा, “मेरे पिता ने हमेशा मुझसे कहा कि वह मुझे एक दिन चैंपियन बनाएंगे। उनका सपना था कि मैं और मेरे भाई दोनों खेल में सफलता हासिल करें और देश का नाम रोशन करें, जो एक समय में वह खुद करना चाहते थे।”
अनुष्का की बातों से साफ पता चलता है कि उनके पिता ने कितनी कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। 17 साल की उम्र में उनके पिता की शादी हो गई और इस कारण वह खेल से दूर हो गए, लेकिन उनका सपना था कि वह अपने बच्चों को वह मौका देंगे जो वह खुद नहीं पा सके।
अनुष्का का कहना है, “मैं आज जो कुछ भी हूं, इसका पूरा श्रेय मेरे पिता को जाता है। उन्होंने मुझे हमेशा मजबूत बनाया और मुझे उन कठिनाइयों से बचाया, जिनका सामना उन्होंने किया था। मेरे पिता जानते थे कि एक दिन मैं उनका नाम रोशन करूंगी और आज वह सपना पूरा हुआ है।”
सुशील कुमार यादव ने अपने बच्चों को बचपन से ही खेलों के प्रति रुचि और समर्पण सिखाया। अब उनका 14 वर्षीय बेटा भी खेल की दुनिया में अपने कदम रख चुका है, और उनके पिता उसे भी उसी तरह ट्रेनिंग दे रहे हैं जैसे उन्होंने अपनी बेटी को दिया था।
अनुष्का यादव की यह स्वर्ण पदक जीतना न केवल उनके लिए, बल्कि उनके पिता के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है। यह कहानी साबित करती है कि कभी-कभी एक पिता का सपना और संघर्ष अपने बच्चों के जरिए पूरा होता है, और इस तरह से अनुष्का ने अपने पिता के संघर्षों को साकार किया और देश का नाम रोशन किया।