उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में, प्रकृति की गोद में स्थित एक छोटे से गाँव कमदई में 25, 26, 27 मई को पहली बार कारखाना एवं इश्किस्तान के तत्वाधान में “ज़िन्दगी मुबारक” नामक एक कैंपिंग म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है ।
ये उत्तराखंड का पहला Zero Waste म्यूजिक फेस्टिवल होगा . उत्तराखंड के गाँव के लोगों को रोज़गार देने हेतु एवं Eco टूरिज्म / स्लो टूरिज्म को प्रोत्साहित करने का यह एक अनोखा प्रयास है। इस आयोजन में राजस्थान, दिल्ली, बंगाल, देहरादून, देश के कोने कोने से तमाम संगीतकार एवं कलाकार गढ़वाल की खूबसूरत वादियों को अपने सुरों से गुंजायमान करेंगे । इस कार्यक्रम में आने वाले यात्री इसके आलावा भी कई सारी विविध गतिविधियों में भाग ले पाएंगे – जैसे की संगीत लेखन एवं ukulele वर्कशॉप , ध्यान एवं योग, नेचर वाक, पहाड़ के पुराने घरों की वास्तुकला के फायदे इत्यादि . इससे वह उत्तराखंड की संस्कृति एवं पहाड़ के गाँव को सिर्फ जानने का ही नहीं पर यहाँ रहकर इसको जीने का भी अनुभव कर पाएंगे ।
ये फेस्टिवल इसी गाँव से निकले, दिल्ली के 10 x 10 के कमरे में रहकर बड़े हुए, फिर कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर, देश विदेश घूमकर वापिस अपने गाँव के लिए कुछ करने का हौसला रखने वाले, इश्किस्तान म्यूजिक बैंड के फाउंडर देवेंद्र का सपना था। ये लोगों में ज़िन्दगी मुबारक के नाम से विख्यात हैं। देवेंद्र कहते हैं जितना ज्यादा में दुनिया घूमा और लोगो से मिला उतना ही मैं समझा की ये ज़िन्दगी बड़ी कमाल की चीज़ है लेकिन देश और समाज जहाँ हम पैदा होते हैं वो निर्धारित करता है हमारी अपनी ज़िन्दगी कितनी कमाल की या कितनी बेकमाल होगी।
उनके सारे अनुभवों ने उनसे एक गीत लिखवा दिया जिसको उन्होंने शीर्षक दिया ” ज़िन्दगी मुबारक ” । ज़िन्दगी से मतलब वो हर प्राणी जो सांस लेता है चाहे वो पेड़ हो, जानवर हो, पंछी हो या इंसान हो।
देवेंद्र की माताजी पहाड़ की इन खूबसूरत वादियों के बीच में रहकर अभी भी निरंतर खेती के काम में संलग्न है।
देवेंद्र ने जो सपना देखा उसको साकार रूप देने के पीछे वास्तुविद मेघना चटर्जी का हाथ रहा है। मेघना जी काजन्म भले ही उत्तराखंड में न हुआ हो पर उनका इस प्रदेश से विशेष लगाव है। मेघना एक कंज़र्वेशन आर्किटेक्ट हैं और उन्होंने 2013 में केदारनाथ त्रासदी के उपरांत UNESCO द्वारा आयोजित कल्चरल अससेमेंट में भाग लिया और गाँव-गाँव घूमी, तदोपरांत उन्होंने SPA दिल्ली से देवप्रयाग पर शोध किया और फिर DIT देहरादून में 2019-2022 तक बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत रहीं। मेघना “कारखाना” की को-फाउंडर हैं एवं बाऊल और भक्ति मूलक संगीत में खासी रूचि रखती हैं ।
यह म्यूजिक फेस्टिवल सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं परन्तु एक विचारधारा है जो प्रकृति को सरंक्षित रखने, गाँव के लोगों को रोज़गार देने, सबको सामान समझने और प्यार बांटने का सन्देश देती है.
छोटे से खूबसूरत गाँव कमदई की वहन क्षमता को मद्देनज़र रखते हुए सिर्फ २५ यात्रियों के लिए बुकिंग का प्रावधान किया गया है । इस फेस्टिवल में भाग लेने हेतु या और जानकारी के लिए इंस्टाग्राम में @zindagi.mubarak पेज पर संपर्क करें ।