Big Breaking: घर के बिजली के स्विच ऑफ करने की आदत डालें बढ़ रहे है बिजली के दाम

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उत्तराखंड में एक बार फिर बिजली उपभोक्ताओं को ज़ोर का झटका लगने जा रहा है। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। बोर्ड बैठक में पास करने के बाद इसे उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेज दिया जाएगा। नियामक आयोग से हरी झंडी मिलने के बाद बिजली की नई दरें एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी। बता दें कि राज्य में हर साल बिजली की दरें निर्धारित होती हैं।

इसके लिए विद्युत नियामक आयोग के स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोग ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग अलग स्थान पर जनसुनवाई की। लोगों से ऊर्जा निगम के बिजली दरें साढ़े पांच प्रतिशत बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर सुझाव और आपत्तियां मांगी।
गौरतलब कि लंबे समय से घरेलू बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। हर बार यूपीसीएल की ओर से प्रस्ताव भेजा जाता है लेकिन विद्युत नियामक आयोग पिछले लंबे समय से जनता के प्रति नरम रुख अपनाए हुए है। इस बार यूपीसीएल के घाटे को देखते हुए घरेलू दरों में बढ़ोतरी का दबाव है। वहीं आयोग का तर्क है कि ऊर्जा निगम के खर्चों, लाइन लॉस का भार आम जनता पर पड़ने नहीं दिया जाएगा। अंतिम निर्णय आयोग को ही लेना है।
ऊर्जा निगम ने वर्ष 2021 में 13.25 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा था। आयोग ने बिजली दरों में 3.54 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की। वर्ष 2020 में छह प्रतिशत बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा गया। आयोग ने दरें बढ़ाने की बजाय चार प्रतिशत कम कर दीं। 2019 में आयोग को 16 प्रतिशत दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया। आयोग ने 2.79 प्रतिशत दरें बढ़ाईं। 2018 में 13.44 प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर आयोग ने दरों में बहुत अधिक बढ़ोतरी नहीं की।
लाइन लॉस को बिजली की बढ़ती खपत और इससे होने वाले नुकसान का हवाला दिया जाता है। वहीं ऊर्जा महकमे में कई ढांचागत खामियां हैं। इन्हें दूर करने के लिए विभाग के स्तर से ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जिसका खामियाज़ा उपभोक्ता को ही उठाना पड़ता है और इसकी कीमत बिजली के बढ़े हुए मूल्य के रूप में चुकाना पड़ती है।

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