कर्नाटक की सत्ता से दूर होती भाजपा कांग्रेस की सत्ता में वापसी के द्वार खुले

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कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम आने शुरू हो गये है । जिसमे कर्नाटक की सत्ता में काबिज भाजपा अब कर्नाटक की कुर्सी से दूर होती नजर आ रही हैं। कर्नाटक के 36 मतगणना स्थलों पर 224 विधानसभा के वोटों की गिनती जारी है। जिसमे कांग्रेस लगातार बहुमत के पार होती जा रही हैं और भाजपा अपनी सरकार को बचाने में असफल हो रही हैं।

वही कर्नाटक चुनाव के रुझानों में कांग्रेस की बढ़ती हुई सीटों के साथ ही भाजपा की हार पर अब चर्चाओं का बाज़ार गरम हो गया है। कर्नाटक में भाजपा की करारी हार जहां लगभग तय हो गई है वही सियासी समीकरण साधने में भाजपा की नाकामी पर भी चर्चाएं होना लाजमी है।

भाजपा की इस करारी हार के लिए माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव में शुरुआत से ही प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के पास मजबूत चेहरा ना होना एक बड़ा कारण है। येदयुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को बीजेपी ने भले ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया हो लेकिन मुख्यमंत्री की गद्दी पर रहते हुए भी बसवराज का कोई अच्छा खासा प्रभाव नहीं देखा गया । वही कांग्रेस के पास दो बड़े चेहरे रहे जिसमें डीके शिवकुमार और  सिद्धारमैया जैसे मजबूत चेहरे चुनाव प्रचार में काम आए। बसवराज बोम्मई को आगे कर भाजपा चुनाव मैदान में तो गई थी पर उसका कोई बड़ा प्रभाव देखने को नहीं मिला।

तो वही भाजपा की इस करारी हार का एक बड़ा कारण रहा भ्रष्टाचार का मुद्दा । पूरे चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने भाजपा को 40% फीसदी पे-सीएम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरे रखा। इस भ्रष्टाचार में जहां बीजेपी सरकार के मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा तो वही खुद के MLA को जेल जाना पड़ा। यही नहीं, कर्नाटक के स्टेट कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री मोदी से भी इस भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। कांग्रेस के लिए ये मुद्दा एक जलेबी साबित हुआ और चुनाव प्रचार में जम कर भाजपा सरकार के लिए खिलाफ काम आया।

वही पूरे चुनाव प्रचार में भाजपा कर्नाटक में अपने कार्यों को गिनाने में विफल रही । सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे सारा चुनाव प्रचार होता रहा और धरातल में कार्यकर्ताओं ने ज्यादा रुचि नहीं ली जिसका परिणाम आज भाजपा को भुगतना पड़ रहा है।

भाजपा के लिए हिदुत्व की राजनीति भी कहीं काम नहीं आई। कर्नाटक के भाजपा नेता पहले हिजाब , हलाला और अजान के मुद्दों को उठाते रहे । तो वही चुनाव प्रचार में हनुमानजी का मुद्दा लेकर धार्मिक ध्रुवीकरण भी भाजपा के कोई काम नहीं आया।

कांग्रेस की रणनीति को भेद पाने में नाकाम रहे भाजपा के नेता। लगतार भ्रष्टाचार और जातिवाद के आरोपों को भाजपा नेता समय रहते नहीं सम्भाल पाए । वही भाजपा के वरिष्ठ नेता येदियुरप्पा जैसे दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर दिया गया । यही नहीं भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का भाजपा से टिकट कटना और इनका कांग्रेस का दामन थाम लेना आज भाजपा को कर्नाटक की सत्ता से दूर करने में अहम भूमिका लेता नज़र आ रहा है।