प्रसारण मुद्दा: धार्मिक प्रसारण कोड की लोकतांत्रिक मर्यादा

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इस लेख के लेखक सुप्रसिद्ध ब्रॉडकास्टर एवं मीडिया विशेषज्ञ हैं जिन्होंने पैंतीस वर्ष भारतीय टेलीविजन अर्थात दूरदर्शन के साथ बिताए हैं एवं कई लोक प्रसारणों का सीधा प्रसारण करके प्रसारण माध्यमों में अपना विशेष नाम बनाया है और वह देश के कई केंद्रों के निदेशक भी रहे हैं। उनकी यह टिप्पणी विशेष महत्वपूर्ण है कि शिरोमणि कमेटी और पंजाब सरकार की इस धारणा के बारे में अब प्रसारण कोड क्या कहता है?


इन दिनों पूरी दुनिया में ब्रॉडकास्टिंग कोड की एक लोकतांत्रिक मर्यादा है। जिसके तहत अपने देश के संविधान के नियमों के अनुसार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत- रेडियो एवं टेलीविजन के साथसाथ अब वेब रेडियो एवं वेब पोर्टल के द्वारा अपने-अपने धार्मिक पंथ का प्रचार- प्रसार एवं सीधा सजीव प्रसारण किया जा सकता है   भारत में भी ऐसे प्रसारण की कोई नई परंपरा नहीं है

जब से भारत में रेडियो एवं टेलीविजन की प्रसंगिकता है एवं लोकप्रियता बढ़ी है तब से कई धार्मिक चैनल एवं रेडियो प्रसारणों द्वारा अलगअलग धर्मों का प्रचार-प्रसार एवं उनका सीधा प्रसारण प्रसारित होता रहा है

 पिछले दिनों पंजाब में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं पंजाब सरकार के विवाद में जिस तरह की अमर्यादित भाषा एवं ब्रॉडकास्टिंग के कोड को लेकर बात चली है वह बेहद तनावपूर्ण एवं विवादास्पद हो गई है जो कि नहीं होनी  चाहिए थी क्योंकि धार्मिक भावनाएं आहत करना किसी भी तरह से लोकतान्त्रिक नहीं है संविधान आपको धर्मनिरपेक्ष स्वरूप बनाए रखने के लिए और उसको निभाने के लिए स्वतंत्रता देता है और यही व्यक्ति की स्वतंत्रता की भारतीय संविधान में सबसे स्पष्ट बात है जिसके तहत, अपनी मर्यादा एवं अपनी आस्था के अनुसार कार्यक्रम का प्रसारण निरंन्तर विभिन्न माध्यमों जैसे रेडियो एवं अन्य प्रसारण द्वारा होता आया है। 

पिछले कई वर्षों से पंजाब में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक ही चैनल को प्रसारण के राइट्स दिए हुए हैं । गुरुद्वारा एक्ट की धारा 125 के अंतर्गत और पंजाब सरकार ने अब उसे स्वतंत्र अभिव्यक्ति की लोकतंत्र की मर्यादा का बहाना देकर इसमें शोध करते हुए कहा है कि गुरबाणी का प्रसारण फ्री होना चाहिए अर्थात फ्री टू एयर जिसको कोई भी कहीं भी दुनिया के किसी भी कॉर्नर में बैठकर सुन सकता है । उसका आनंद ले सकता है ।

असल में गुरबाणी कीर्तन की एक परंपरा है जो सिख एवं तमाम पंजाबियों को वो चाहे विश्व के किसी भी कॉर्नर में बसे हुए हैं उनके लिए एक धर्मनिरपेक्ष स्वरूप में पहचान है और जिसको सुबह शाम हरिमंदिर साहिब गोल्डन टेंपल अमृतसर से सीधे प्रसारण द्वारा सुना जाता है और यह बेहद लोकप्रिय कीर्तन का सीधा प्रसारण है जिसके दुनियाभर में करोड़ों लोग देखने व सुनने वाले हैं ।

यह पहली बार था कि वर्तमान मामले को लेकर जिस तरह का संवाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पंजाब सरकार में हुआ वह पहले कभी नहीं हुआ था ।

आइए देखते हैं , इस से पहले श्री हरमंदिर साहिब गोल्डन टेंपल से किस तरह से लाइव ब्रॉडकास्टिंग की परंपरा रही है । यह सही है कि 15 सितंबर 1959 से, जब से दूरदर्शन शुरू हुआ, दरबार साहिब श्री हरमंदिर साहिब की विशेष समारोहों की तथा गुरुपुरबो की समय-समय पर सीधा प्रसारण की व्यवस्था की जाती रही है ।

जून 1984 में साका नीला तारा के बाद जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया है लगातार अनइंटरप्टेड टेलीकास्ट अथवा सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई है जो आज तक आकाशवाणी जालंधर के द्वारा पूरी दुनिया में सुना जा रहा है। इसी तरह 1998 में पंजाबी वर्ड चैनल  नाम के  चैनल से गुरबाणी  कीर्तन  का सीधा प्रसारण शुरू हुआ था जो 1999 तक प्रसारित  रहा फिर कुछ समय के लिए ब्रिटेन के खालसा  टीवी एवं नॉर्थ इंडिया टीवी ने गोल्डन टेंपल से ब्रॉडकास्ट करने की कोशिश की थी  ।  इसी के साथ सितंबर 2000 मैं जब इस की लोकप्रियता बढ़ने लगी तो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने  मुंबई के  एक चैनल को गुरबाणी के सीधा प्रसारण का एक एमओयू साइन किया जिसमें  कुछ पैसा एजुकेशन फंड के नाम पर डोनेशन की बात की गई थी तथा बाद में 2007 में ईटीसी ने  यह राइट्स पीटीसी चैनल को दे दिए गए तथा 24 जुलाई 2012 को एसजीपीसी ने 11 वर्ष के लिए जुलाई 24 तक 11 साल के लिए एक अनुबंध के तहत पीटीसी के पास जा रहे हैं।

प्रसारण के इस सारे विवाद को लेकर अब जिस तरह से वातावरण बना है उसमें यह दुनिया भर के पंजाबी समुदाय द्वारा उठाई जा रही है कि यह फ्री टू एयर होना चाहिए । किसी प्राइवेट चैनल को ऐसे किसी प्रसारण का हक नहीं होना चाहिए जिससे इंटेकचुयल प्रॉपर्टी राइट के नाम से कहा जाता है परंतु यह उससे भी आगे यह मसला लोगों की धार्मिक आस्था एवं विश्वास का प्रतीक है । पूरे विश्व में फैले हुए 11 करोड पंजाबियों के साथ यह मन  में आस्था का केंद्र श्री हरमंदिर साहिब का कीर्तन है जिसके साथ वह सुबह और शाम उठते हैं जागते हैं और जीते हैं।

इस पर  वाद- विवाद होना, ब्रॉडकास्ट कोड तथा ब्रॉडकास्टिंग की लोकतांत्रिक मर्यादा का हनन ही कहा जाएगा जो कहीं ना कहीं बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है । इधर पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित  किया गया है कि अब  गुरद्वारा एक्ट की संशोधित धारा 125 ए के अंतर्गत गुरबाणी फ्री होगी और पंजाब सरकार का यह मानना है कि गुरबाणी पूरी दुनिया को फ्री देनी चाहिए ।

इस पर एकाधिकार एवं एक चैनल का ही पक्ष नहीं होना चाहिए परंतु परंपराएं यह बताती है कि इस तरह का धार्मिक मुद्दा बैठकर तय हो जाता तो ज्यादा अच्छा था फिर भी इस संदर्भ में भारतीय प्रेस कोड को एवं प्रसारण कोड को देखना अति आवश्यक है । भारत में प्रसार भारती सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत एक ऐसा एक्ट है जिसके तहत भारतीय टेलीविजन तथा प्रसारण के तमाम माध्यम एक सरकारी कोड के तहत काम करते हैं तथा यह दूरदर्शन आकाशवाणी के साथ-साथ उन तमाम भारतीय प्राइवेट चैनलों की एक आचार संहिता के तहत काम करता है जो भारतीय संविधान के अंतर्गत प्रसार भारती एक्ट द्वारा निर्धारित किए गए हैं ।

इन दिनों आज भारत में जो अन्य प्राइवेट धार्मिक संगठनों के चैनल है वह किस तरह से चल रहे हैं उस पर भी नजर डालनी चाहिए । यदि स्वर्ण मंदिर से सीधे प्रसारण की बात हो रही है तो तिरुपति बालाजी से प्रसारित होते टेलीविजन एवं दक्षिण भारतीय मंदिरों से प्रसारित होते टेलीविजन के साथ-साथ लाइव प्रसारणओं का समय अब है जो सीधे सिग्नल वेब पोर्टल तथा वेब रेडियो द्वारा दुनिया के किसी भी कोने में सुने एवं सुनाए जाते हैं। इस मामले में हमारे यहां से सब प्रमुख धर्मों के चैनलों का प्रसारण होता रहा है परंतु पहली बार कहीं बीच में सरकार का हस्तक्षेप हुआ है और वह राज्य है पंजाब।

इन दिनों यह विवाद का मुद्दा है क्योंकि यह मुद्दा पूरा डायस्पोरा एवं 11 करोड पंजाबी समाज की  संवेदनाओं के साथ सीधे जुड़ा है ।  इसके अतिरिक्त हमें यह भी देखना होगा कि पूरी दुनिया में धार्मिक ब्रॉडकास्टिंग कोड कैसा है ? अब इनकी बात करते हैं फिर  यह सवाल कि जिस पंथ में जिसका विश्वास है उसका ब्रॉडकास्ट है और इसे रिलीजस प्रबंधन द्वारा ही किया जाता है ।

यह ब्रिटेन एवं यूरोप  समेत अमेरिका एवं पूरे के पूरे अलग-अलग फॉर्मेट के प्रोग्रामों में इसे ब्रॉडकास्ट करती है । रिलीजियस ब्रॉडकास्टिंग को कमर्शियल ब्रॉडकास्टर के तौर पर नहीं देखा जा सकता, इसे पब्लिक ब्रॉडकास्टर अर्थात लोक प्रसारण की श्रेणी में रखा जाता है और धार्मिक ब्राड कास्ट  नान प्रॉफिटेबल ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा चलाया जाता है जिनकी फंडिंग दान डोनेशन एवं श्रोता एवं देखने वाले दर्शकों द्वारा टैक्स के रूप में ली जाती है । यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका में 73 पर्सेंट कमर्शियल रेडियो स्टेशन करेंटली इस फॉर्मेट के तहत जलते हैं ।

आज पूरी दुनिया में आपको ताज्जुब होगा कि क्रिश्चियनिटी के प्रचार प्रसार हेतु 2400 से ज्यादा क्रिश्चन रेडियो स्टेशन तथा 100 से ज्यादा फुल पावर क्रिस्चियन टेलीविजन स्टेशन पूरी दुनिया में संचालित होते हैं। इनमें कई स्टेट रिलिजन ब्रॉडकास्ट के साथ संबंध  रखते हैं जिनमें उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन स्टेशन जो इस्लामिक आईडिलोजी के साथ लोकतंत्र के तथा अभिव्यक्ति की आजादी के  सोशल जस्टिस और इस्लाम का प्रबंधन देता है ।

इसके साथ-साथ रेडियो एवं टेलीविजन के पिछले दिनों में पूरी दुनिया में दूसरी तरह के दृश्य देखने को मिले हैं और यदि इन रेडियो स्टेशन को जो पूरी दुनिया में धार्मिक विशेषकर क्रिश्चियनिटी के बारे में और इस्लामिक पद्धति को ब्रॉडकास्ट करते हैं यह ऑस्ट्रेलिया से लेकर पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और ऑस्ट्रेलिया में जो धार्मिक रेडियो है वहां पर  क्रिश्चियनिटी का प्रचार चलता है ।इसके अतिरिक्त ब्राजील और अन्य देशों से जो चैनल चलते हैं उसमें सारे के सारे चैनल, प्रचार- प्रसार के लिए चलते हैं। इन सभी में यहां तक देखा गया है कि रेडियो इस्लामिक ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क इस्लामिक रेडियो है और इसी तरह आपको ताज्जुब होगा कि  भारत में भी वर्ड हिंदू रेडियो वेब सीरीज वेब पोर्टल पर चल रहा है वर्ल्ड लेटेस्ट हिंदी रेडियो स्टेशन स्थापित किया गया है और एशियन हिंदू रेडियो में है।

इन दिनों मराठी हिंदू भाई ,हिंदू रेडियो रेडियो ,कमेंट्री रेडियो ,हिंदुस्तान रेडियो,  वॉइस ऑफ द हिंदी, ऑफ बांग्ला इस तरह के इतने चैनल धार्मिक प्रचार प्रसार के लिए है कि आपको अंदाजा ही नहीं लगता कि पूरी दुनिया में धार्मिक प्रचार-प्रसार अक्सर किस तरह से होता है।  इटली का रेडियो मारिया कैथोलिक रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के नाम से चलता है और रेडियो सिस्टर मीडिया है इसी तरह नीदरलैंड तथा अन्य देशों में बेस्ट ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन की कारगुजारी भी देखी जा सकती है जहां से बुद्ध के प्रसारण को टेलीकास्ट किया जाता है ।

इस समय नीदरलैंड में एवं ओम नमो से लेकर मीडिया जिस पर रेडियो के साथ-साथ अखबार भी निकलता है और न्यूजीलैंड से सर्वधर्म सद्भाव का एकमात्र रेडियो मीडिया नेटवर्क और रेडियो नेटवर्क चलाया जाता है । इस तरह कैथोलिक चर्च के साथ-साथ साउथ के कोरिया में भी अलग चैनल चलाए जाते हैं । आपको ताजुब होगा कि इन देशों में छोटे देश भी कहीं पीछे नहीं है । ट्री नॉड ए टुबागो जैसे देशों में रेडियो जागृति जो हिंदू तथा हिंदी की मिलीजुली भाषा एवं सनातन धर्म महासभा का रेडियो भी चलता है परंतु ब्रिटेन में 30 जुलाई 1922 को रेडियो से पहली बार क्रिश्चियंस यूनियन का ब्लैकहेड्स क्राइस्टचर्च नाम का रेडियो सुना गया था जो पहले सब मिलकर गिरे में अपना प्रसारण करता था परंतु उसके बाद में इसमें लगातार बढ़ोतरी होती गई ।

आज प्राइम रेडियो के अतिरिक्त जहां पर  इस तरह के अन्य रेडियो हैं जिन्होंने सिख मत एवं इस्लामिक रेडियो के साथ-साथ इस्लामिक देशों के रेडियो बिरटेन की धरती से चलते हैं परंतु सबसे ज्यादा चलने वाला ट्रांसवर्ल्ड रेडियो जिसमें सर्वधर्म के गीतों को और उनकी वाणी को प्रसारित किया जाता है ।

यह अपने आप में एक उदाहरण है  कि इस वक्त पूरी दुनिया से 14,00 से ज्यादा धार्मिक टेलीविजन एवं रेडियो का प्रसारण हो रहा है जो अपने आप में एक नई रोशनी देता है । एशिया के कई देश इस्लामिक देशों का प्रचार प्रसार करते हैं तथा इसके साथ-साथ कनाडा से क्रॉसरोड क्रिस्चियन कम्युनिकेशन जैसे एसटीवी एवं एशियन टेलीविजन नेटवर्क के साथ-साथ वर्ल्ड इंडस्ट्रीज जैसे चैनल भी कार्यक्रम करते हैं । इधर फ्रांस से हॉलीवुड नाम का चैनल क्रिस्चियन स्टेशन जो पूरी दुनिया में सुना जाता है चलता है । इसी तरह जर्मनी से और इंडिया से भारत में कितने तरह के धार्मिक चैनल है इसका भी आपको बताते चलें ।

आज यहां पर आस्था चैनल हिंदुइज्म ,दिव्य चैनल सिखईस्म एंड हिंदुइज्म संस्कार एंजल गॉड ऑफ स्माल इस्लामिया के अतिरिक्त संस्कार जैन धर्म के बारे में चैनल दिखाया जाता है । दिशा टीवी  के बारे में एवं बौद्धिक प्रचार के बारे में टेलीविजन है। इस लिस्ट में इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए आज बहुत चैनल कार्यरत हैं तथा रेडियो पर भी सुने जाते हैं इसी तरह पूरी दुनिया में चलने वाले रेडियो में टेलीविजन से चलता है और उसी के साथ ही फिजी से भक्ति टीवी इस्लामिक नेटवर्क चला जाता है।‌ इस्लामिक प्रचार की पूरी दुनिया में इन्हें देखा जाता हैं ।सबसे ज्यादा नेटवर्क होने वाले लंका में सर्वधर्म सद्भाव की बात की जाती है ।

आज जिसके कारण दोबारा से इन चैनलों को देखा जाने लगा है वह है जिसमें यह बातें सामने आ रही है कि अब इस तरह के चैनलों को दिखाना अति मुश्किल हो रहा है क्योंकि यह चैनल आज धार्मिक प्रापेगंडा के साथ-साथ राजनीतिक भी बन गए हैं । यह चैनल भारत में जितने भी चैनल दिखाए जाते हैं उनके साथ साथ आकाशवाणी भारत सरकार का ब्रॉडकास्ट कोड जिसमें कई तरह की संभावनाओं को उजागर किया गया है और यह आप को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक नया रास्ता दिखाता है । इधर यह एक ऐसा मसला है जो आदमी की संवेदनाएं एवं भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ है और यह अति आवश्यक है कि इस तरह के ब्रॉडकास्ट को दोबारा इस तरह से समझाया जाना चाहिए कि वह किसी के तरीके में किसी की अभिव्यक्ति एवं किसी की स्वतंत्रता में बाधा ना उत्पन्न कर सके ।

इन दिनों पूरी दुनिया में जिस तरह से क्रिस्चियन टेलीविजन रेडियो वेब पोर्टल का नेटवर्क चलता है उस तरह से किसी भी और पंथ का नेटवर्क नहीं है । इसमें कुछ भी कहा जा सकता है यहां यह भी देखने योग्य है कि जो लोग अपने धर्म प्रचार के लिए इजरायल से लेकर जर्मन आगे अमेरिका से जिस तरह से अपना प्रचार प्रसार कर रहे हैं वह एक अद्भुत कथा कहता है । पूरे के पूरे लोग जिस टेलीविजन प्रसारण में जुड़े रहते हैं उससे कहीं अधिक जुड़ने वाली बात इन धार्मिक चैनलों के साथ है परंतु यहां पर कोई ब्रॉडकास्टिंग कोड कार्य नहीं करता।

इन दिनों भारत में जिस तरह से बाबा चैनलों की बाढ़ है और जिस तरह से कई- कई घंटों के लंबे लाइव प्रसारण होते हैं। मध्यवर्गीय चेतना, अपना हजारों करोड़ों घंटों का समय नष्ट कर इन चैनलों को देखती है ।

अब बात जब आस्था की है तो फिर धार्मिक आजादी तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संविधान कोई मायने नहीं रखता । इसीलिए मैंने पहले बताया कि इसमें शिरोमणि प्रबंधक कमेटी और पंजाब सरकार को इसमें बैठकर कोई रास्ता निकालना चाहिए था क्योंकि यह राजनीतिक से ज्यादा धार्मिक भावनाओं का मुद्दा है । श्री दरबार साहिब के प्रसारण पहले भी होते रहे हैं परंतु इस तरह से नहीं जिस तरह का मुद्दा अब आया है। ऐसे में शिरोमणि प्रबंधन कमेटी, वेटिकन सिटी, चैनल तिरुपति बालाजी के प्रसारण की तरह एक अपना चैनल बनाकर, उसका सिग्नल सभी को फ्री टू एयर कर सकती है । और चेंनेल डोनेशन के माध्यम से चलाया जाना चाहिए । क्योंकि यह धार्मिक आस्था का मसला है और यह दान से ही चलना चाहिए ।

इन दिनों यह कहना आज उस तरह की बात होगी कि भारत में किस तरह से लाइव चैनलों को धार्मिक आजादी के साथ चलाया जा रहा है परंतु पहली बार कोई मुद्दा इस तरह का सरकार के साथ उलझा हुआ दिखाई दिया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है तथा धार्मिक भावनाओं को भी खंडित करता है हालांकि 125 ऐ धारा गुरुद्वारा एक्ट में जोड़ने से उसकी क्रियान्वित तो शिरोमणि प्रबंधक कमेटी द्वारा ही होनी है जो इसे स्वीकार नहीं करती है ।

अब यह शिरोमणि प्रबंधक गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के ऊपर है कि वह किस तरह से इसकी संभावनाओं को देखती है इसके लिए अपना कोई  चैनल बड़ी बात नहीं है

1984 में ब्लू स्टार के तुरंत बाद जब आकाशवाणी ने इसका प्रसारण शुरू किया था तब टेलीविजन द्वारा प्रसारण करने की योजना बनाई गई थी। मुझे याद है कि उस योजना के अंतर्गत बहुत  वादे किए गए थे परंतु फिर किसी कारण भारत सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे ।

दूरदर्शन में अपने 35 साल के लंबे कैरियर के दौरान मैंने यह बातें कई बार उस वक्त शिरोमणि कमेटी के प्रधान जत्थेदार गुरचरण सिंह जी टोहड़ा से अपने निजी बातचीत में भी कही थी कि अभी एक सुंदर अवसर आया है गुरबाणी को पूरी दुनिया में प्रचारित- प्रसारित करने के लिए शिरोमणि कमेटी सरकार की मदद ले नहीं है तो लाइसेंस प्राप्त करके तुरंत लोगों की भावनाओं को देखते हुए  चैनल शुरू करवाएं अन्यथा यह प्राइवेट हाथों में चला जाएगा।

आज इतने वर्ष बाद यह मुद्दा फिर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले उस क्षेत्र में प्रवेश कर दिया गया है जहां पर राजनीति सामने है और धार्मिक मर्यादा खंडित हो रही है ।

अभी भी समय है कि इस बात को बैठकर तय किया जाए क्योंकि इनके साथ लोगों की धार्मिक भावनाएं एवं उनकी अभिव्यक्ति की आजादी अर्थात धार्मिक आजादी का प्रश्न सीधा जुड़ा हुआ है । इस समय यह बेहद नाजुक मसला है जिस पर आप पंजाबियों को हुकुम नहीं कर सकते । यह धार्मिक मसला है तथा इसका हल उसी तरह होना चाहिए भले ही वो संविधान के दायरे में भारतीय लोक प्रसारण कोड के अंतर्गतक्यों न हो।

 

लेखक

प्रो. डॉ .कृष्ण कुमार रत्तू

लेखक सुप्रसिद्ध ब्रॉडकास्टर एवं मीडिया विशेषज्ञ हैं।

Prof.(Dr.)K K Rattu. IBS – Director Media and Professor Head Department of Journalism and Mass Communication – Jaipur National University | LinkedIn

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