Big Breaking: CDS स्वo जनरल बिपिन रावत को मरणोपरांत पद्म विभूषण

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इस साल के पदम् पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। उत्तराखण्ड मूल के देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को मरणोपरांत पदम् विभूषण पुरस्कार मिला है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख़्यमंत्री कल्याण सिंह को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार मिला है।

कला के क्षेत्र में महाराष्ट्र की प्रभा आत्रे , शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के राधे श्याम खेमका को भी मरणोपरांत पदम विभूषण सम्मान मिला है। जनरल बिपिन रावत थलसेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद 31 दिसंबर, 2019 को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) बने थे।

सीडीएस जनरल रावत तीनों सेनाओं को सुगठित करने की बड़ी योजना पर काम कर रहे थे। उनकी कोशिश सेना के तीनों अंगों को एक ऐसे सशस्त्र बल के रूप में विकसित करने की थी, जिसमें उनकी क्षमताएं, साजो-सामान और सैनिक एकीकृत हों। इसका उद्देश्य खर्च में कमी लाना, मैन पॉवर को युक्तिसंगत बनाना और यह सुनिश्चित करना कि सशस्त्र बल एकजुट इकाई के रूप में लड़ें।.

तीन साल के भीतर उन्हें सेनाओं का पुनर्गठन कर ‘थिएटर कमांड’ बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। वह जिस थिएटर कमांड प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, वो प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरों से निपटने में अहम रोल अदा करता।

जनरल बिपिन रावत का रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण में भी एक बड़ा योगदान था। पिछले पांच-छह साल से थलसेना, वायुसेना और नौसेना में स्वदेशी हथियारों को ही तरजीह दी जा रही थी, तो इसका एक बड़ा श्रेय जनरल रावत को जाता है। अगर विदेशी हथियार और सैन्य साजो-सामान खरीद भी रहे थे तो उसे मेक इन इंडिया के तहत देश में ही निर्माण करने की कोशिश रहती थी। यही कारण था कि थलसेना स्वदेशी अर्जुन टैंक लेने को तैयार हुई और वायुसेना ने एलसीएच अटैक हेलीकॉप्टर लेने को हामी भरी थी। जनरल बिपिन रावत रक्षा क्षेत्र में सुधारों के लिए हमेशा जाने जाते रहेंगे।पौड़ी के सैंण गांव से आने वाले सीडीएस जनरल रावत को सेना प्रमुख रहने के दौरान पीओके और म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक, कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने की सफल रणनीति बनाने का श्रेय तो जाता ही है, डोकलाम में चीनी सेना से टकराव के बाद भारतीय सेना के बदले तेवरों ने उनकी अहमियत साबित की। सेना में महिलाओं को स्थायी तौर पर शामिल करने का फैसला उनके कार्यकाल के दौरान ही संभव हो सका। 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में जनवरी 1978 में कमीशन लेने वाले जनरल बिपिन रावत आईएमए से पासआउट होने वाले अपने बैच के श्रेष्ठतम कैडेट थे।

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